आज हम आपको एक ऐसे इल्म के बारे में बताएंगे जिसका महत्व मज़हब-ए-इस्लाम में बहुत आला है, हम सभी अल्लाह त’ आला के मोमिन बन्दे अपने रब से बहुत प्यार करते हैं, हम सभी लोग अपने दीन इस्लाम की राह पर चलना पसन्द करते हैं, आज एक ऐसे ही राह के बारे में जानेंगे जिसे हर मोमिन बन्दों को इसका इल्म हासिल होना चाहिए।
आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हम बताएंगे कि गुस्ल का सही तरीका क्या है, हमें कैसे करना चाहिए, और भी गुस्ल से जुड़ी बेहतरीन बाते इसमें लिखी गई है, अगर आप गुस्ल की मुकम्मल जानकारी चाहते हैं तो इस पैगाम को अव्वल से आखिर तक ध्यान से पढ़े।
Gusl Karne Ka Tarika Step By Step
- गुस्ल का नियत करना
- फिर गिट्टों तक हाथ धोना
- शर्मगाह को धोना
- बदन पर लगी निजासत धोना
- वुजू करना
- बदन पर पानी मलना
- दाहिने कंधे पर पानी बहाना
- बाएं कंधे पर पानी बहाना
- पुरे बदन पर पानी बहाना
- पांव को धोना
गुस्ल का नियत करना:- सबसे पहले आपको चाहिए कि अपने दिल में गुस्ल का नियत और नहाने का इरादा करें, फिर अपने जबान से बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम जरूर पढ़े,इस बात का अपने दिल में ख्याल रखे कि मैं अपने अल्लाह तबारक व तआला कि रजा और खुद के सवाब के खातिर नहा रहा हूं।
फिर गिट्टों तक हाथ धोना:- इसके बाद सबसे जरूरी चीज है कि अपने दोनों हाथ को एक दूसरे हाथ की मदद से गिट्टों तक जरूर धोएं, निजासत आपकी हाथों में लगी हो या ना लगी हो, लेकीन अपने दोनों हाथ को कम से कम तीन मर्तबा जरूर धोए।
शर्मगाह को धोना:- अपने शर्मगाह यानि नाफ के निचले हिस्से को अच्छी तरह से धोएं, अगर आपके शर्मगाह के जगह पर निजासत लगी हो या ना लगी हो।
बदन पर लगी निजासत धोना:- फिर आपको अपने बदन के किसी भी हिस्से पर अगर निजासत लगी हो तो उसे भी अच्छे तरीके से पानी बहा कर धोएं।
वुजू करना:- यहां पर भी आपको सभी चीजें वुजू की तरह करना होता है लेकिन इसमें यह जरूरी नहीं है कि पैर धोए, लेकिन आप चाहे तो धो सकते हैं, इस वक्त कुल्ली और नाक में पानी अच्छे से चढ़ाएं।
बदन पर पानी मलना:- अपने हाथ से पूरे शरीर को हाथ फिरा फिरा कर अपने बदन के सभी हिस्सों में पानी पहुंचाकर जरूर मले, खुसुसन जोड़ों का कोई भी हिस्सा छूट न जाए इसका ध्यान रखें।
दाहिने कंधे पर पानी बहाना:- अपने दाहिने कंधे पर कम से कम तीन बार जरूर पानी बढ़ाएं और अच्छे तरीके से उस हिस्से को मले।
बाएं कंधे पर पानी बहाना:- यहां पर भी आपको बाएं कंधे पर कम से कम तीन बार पानी बहाना जरूरी है फिर यहां पर भी उस हिस्से को अच्छे तरीके से मलना चाहिए।
पुरे बदन पर पानी बहाना:- फिर अपने सर पर और पूरे बदन पर तीन बार पानी बहाएं और तमाम बदन के सभी हिस्से को खूब तरह से मले कोई भी हिस्सा बाल के बराबर भी धोने से बच ना जाए इसका जरूर ध्यान रखें।
पांव को धोना:- अपने नहाते वक्त यदि आप वजू के समय पांव नहीं धोए हैं तो आपको चाहिए कि आखिर में अपने दोनों पांव को अच्छे तरीके से मलकर जरूर धोएं, इसके बाद साबुन वगैरह या कोई भी धोने की चीज इस्तेमाल कर सकते हैं।
गुस्ल का अर्थ क्या है?
गुस्ल का अर्थ यह है कि जब कोई मोमिन बन्दा का बदन नापाक हो जाता है तो उसे अपने दीन इस्लाम के तौर तरीके से और शरीयत के मुताबिक बताए हुए एक खास तरीके से नहाने को गुस्ल कहते हैं, हमें और आपको चाहिए कि अपने दीन इस्लाम की कोई भी नमाज़ या किताब, सूरत, आयत पढ़ने से पहले दुरुस्त तरीके से गुस्ल और वजू कर लेना चाहिए।
नापाकी में गुस्ल कैसे करें?
नापाकी में गुस्ल इस तरह से करें की अपने बदन पर लगी निजासत को हाथ के ज़रिए कम से कम तीन बार पानी से अच्छे तरीके से मल कर धोएं, यदि निजासत हाथ में लगी हो तो सबसे पहले अपने हाथों को सही तरीके से धोए, फिर बदन का निजासत धोए, अगर निजासत लिबास या कोई कपड़े में लगा हो तो उसे अच्छे तरीके से निचोड़ निचोड़कर कम से कम तीन बार धोए।
इसे गुस्ल से पहले करें ऐसा ना करने से निजासत फैल जाता है ऐसा कहा गया है कि नहाने के सामान को भी नाजिस कर देता है, अगर ऐसा करने से आप असहज महसूस कर रहे हैं तो आपको चाहिए कि किसी पाक कपडे पर गुस्ल करें, इसके बाद की जानें वाली सभी बातें ऊपर बताई गई है उसी पर अमल करें।
गुस्ल में कितने फर्ज होते हैं?
गुस्ल के तीन फर्ज है अगर इनमें से एक में भी कमी हुई तो गुस्ल नहीं होता है।
- कुल्ली करना:- मुंह के हर हिस्से में हल्क की जड़ तक पानी जरुर पहुंचाएं, अगर जुबान की जड़ और हल्क के किनारे तक पानी नहीं पहुंचती है तो ऐसे में गुस्ल नहीं होता, लेकीन रोजे की हालत में ऐसा करना हुक्म नही।
- नाक में पानी डालना:- अपने नाक के अन्दर हर हिस्से में पानी पहुंचाएं, इसका सबसे बेहतर तरीका यह है कि नाक से उपर की ओर सांस ले, इसे पानी अच्छे तरीके से पहुंचता है।
- बदन पर पानी बहाना:- इसका मतलब यह है कि सर के बालों से पांव के तलवों तक जिस्म के हर हिस्से पर पानी बहाएं, शरीर के हर एक हिस्से तथा हर रोंगटे भींगना चाहिए।
गुस्ल की सुन्नतें
- गुस्ल की नीयत करना।
- पहले दोनों हाथों को गट्टे को तीन बार धोना।
- नजासत हो या ना हो पेशाब पखाने की जगह को धोना।
- बदन पर लगी निजासत को अच्छे तरीके से पुरादूर करना।
- फिर नमाज़ की तरह वुजु करना, यहां पैर धोना कोई हर्ज नहीं।
- फिर पुरे बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़ना,खासकर जाड़े में।
- दोनों कंधों पर पहले दाएं फिर बाएं पर तीन बार पानी बहाना।
- फिर सर के साथ तमाम बदन पर तीन बार पानी अच्छे से बहाएं।
- फिर नहाने की जगह से अलग हटकर पांव न धोए हो तो धो लें।
- नहाने में किब्ला की ओर रुख न हो,गुस्ल वक्त यह भी ध्यान रहे।
- तमाम बदन पर हाथ फेरे,अच्छे तरीके से सभी हिस्से में ले जाएं।
- फिर पुरे बदन के तमाम हिस्से को अच्छे तरीके से मलना चहिए।
- ऐसी जगह नहाए की वहां कोई ना देखें यदि ऐसा ना हो सके तो नाफ़ से लेकर घुटने तक छुपाकर नहाए।
- गुस्ल करते वक्त किसी भी व्यक्ति से फालतू बात ना करें जरूरत के हो तो उसे उसका हल बता सकते हैं।
- कोई दुआ न पढ़े, नहाने के बाद अपने बदन को रूमाल या तोलिया से पोंछ डालें, कोई हर्ज नहीं है।
- हमारी मां बहने यानी औरतों के लिए बैठकर गुस्ल करना बेहतर बताया गया है।
- इसके बाद फौरन कपड़ा पहन ले, यदि तहबंद में हैं तो कोई हर्ज नहीं होता है।
गुस्ल की दुआ
हमने बहुत रिसर्च करने के बाद यह पता लगाया कि गुस्ल की कोई दुआ नहीं होती, लेकिन आप अच्छे तरीके से नियत ही कर ले तो वही काफी होता है, अपने दिल में यह बात रखें और जबान से बोले कि बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम गुस्ल करता हूं अपनी पाकी के लिए यही काफी है।
गुस्ल कब जरुरी होता है?
ऐसी पांच चीजें हैं जिसे गुस्ल जरुरी होता है।
- मनी को शहवत के साथ जुदा हो कर निकलना।
- एहतिलाम यानि सोते वक्त मनी का निकल जाना।
- जकर का सर औरत के आगे या पीछे या मर्द के पीछे दाखिल होना दोनों के लिए गुस्ल जरुरी है।
- हैज से फारिग होना, यानि हैज़ का खत्म हो जाना, ऐसे में भी गुस्ल करना फर्ज यानी जरुरी होता है।
- निफास से फारिग होने पर, यानी निफास खत्म हो जानें पर भी गुस्ल करना जरुरी होता है।
FAQs
Q. गुस्ल खड़े हो कर या बैठ कर करना चाहिए?
Ans. गुस्ल करने का यह तरीका है कि औरतों बैठकर नहाना बेहतर है जबकि मर्द खड़े होकर नहीं आ बैठ कर दोनों में कोई हर्ज नहीं है।
Q. गुस्ल के बगैर क्या क्या नहीं करना चाहिए?
Ans. गुस्ल के बगैर मस्जिद में जाना नहीं चाहिए, तवाफ भी करना नहीं चाहिए, कुरआने मजीद को भी नहीं छूना चाहिए, किसी आयत को लिखना हराम है।
Q. क्या गुस्ल के बाद वूजू करना चाहिए?
Ans. अगर आप गुस्ल सही तरीके से किया, जैसे गुस्ल के वक्त वूजु का सभी चीज जो उपर लिखा है वो सब किया हो तो वुजू करने की कोई जरुरत नहीं।
Q. गुस्ल में कितने फर्ज हैं?
Ans. गुस्ल में तीन फर्ज है पहला मुंह अन्दर तक पानी पहुंचा कर अच्छे तरीके से कुली करना, नाक में पानी चढ़ाना इस तरह से की अन्दर के कोई भी खाल या एक बाल भी सुखा न रहे, सबसे आखिरी फर्ज ये है कि तमाम बदन पर पानी बहाना चाहिए।
Q. क्या गुस्ल बगैर तहबंद यानी कपडे के हो सकता है?
Ans. हा बगैर तहबंद भी गुस्ल मुकम्मल हो सकता है, मगर शर्त यह है कि किसी का भी नज़र गुस्ल करते वक्त न पहुंचे, औरतों के लिए भी यही हुक्म है।
आखिरी बात
इसके ज़रिए हमने आपको गुस्ल से सम्बन्धित सभी पैगामात पेश किया है, आपको इसे पढ़ने के बाद गुस्ल से जुड़ी सभी जानकारी हासिल हो गई होगी साथ ही साथ यह आर्टिकल आपको जरुर इल्म के नजरिए से फायदेमंद साबित हुई होगी।
अगर आपके मन में किसी भी प्रकार का सवाल आ रहा हो तो उसका जवाब कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमारे जरिए जान सकते हैं, अगर आपको यह पैगाम अच्छा लगा हो तो इसे अपने सभी मोमिनों तक पहुंचाएं क्यूंकि अल्लाह त’ आला इल्म की पैगाम पहुंचाने वालों को बहुत पसंद करता है।