क्या आप जानते हैं इस्लाम में सफर भी एक इबादत है इस्लाम में जिंदगी के हर एक मसले में रहनुमाई की गई है, जिसमें सफर भी एक है
आज हम आप को Safar ki Dua Hindi me बताएंगे जिसको पढ़ कर आपको अपना सफर शुरू करना चाहिए
साथ ही हम आपको सफर के दौरान और सफर की तैयारी के दौरान शरीयत के हिसाब से जो तरीका होना चाहिए उसके बारे में भी बताएंगे
वैसे तो बहुत सारी दुआ है जिसको हम सफर करने के दौरान पढ़ सकते हैं लेकिन यहां हमने वह खास दुआ बताइ है जो हम खुद सफर के दौरान पढ़ते हैं
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सफर की दुआ हिंदी में
हमारे प्यारे नबी ” हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम” ने हमें, हर छोटे बड़े काम को करने के लिए बेहतरीन तरीके बताये है हमे चाहिए हुजूर सल्ललाहो अलैहि वसल्लम के बताये हुए रास्ते पर चलते हुए अपनी जिंदगी गुजारे और उन तरीको को अपनाए|
Safar Ki Dua हिंदी अल्फाज़ में तर्जुमा के साथ| सफर में पढ़ी जाने वाली दुआ क़ुरआन-ए-पाक की दो आयात है| सूरह ‘अदद 43, सूरह अज़-ज़ुख़रुफ की आयत ‘अदद 13 और 14 है|सफर में जाने से पहले 2 रक्अत नफ़्ल की नमाज़ पढ़ना चाहिए.
“हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम “ने फरमाया है कि जो राही अपने सफर में दुनिया की बातों से दिल हटाकर अल्लाह की तरफ़ तवाज्जो रखता हैं और उसकी याद में दिल लगाता हैं तो उसके साथ फरिश्ता रहता है | जो मुसाफिर बेकार की बातों और बेहूदा कामों में दिल लगता है उसके साथ शैतान रहता है |
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
दुआ – सुब्हानल्लज़ी सख्खर लना हाज़ा वमा कुन्ना लहू मुक़रिनीन, व इन्ना इला रब्बीना लमुनक़लिबुन
Dua Source: Al Quran
तर्जुमा – पाक है वो ज़ात जिसने इसको हमारे बस में कर दिया और हम तो इसको क़ाबू में नहीं ला सकते थे
सफर की दुआ पढ़ने के बाद तीन बार अल्हम्दु लिल्लाह और तीन बार अल्लाह हु अकबर कहें उसके बाद यह दुआ पढ़ें
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
दुआ – सुब्हा-न-क इन्नी ज़लम्तु नफ़्सी फ़गि्फ़र ली फ़ इन-न हू ला यगि्फ़रूज़्जुनू-ब इल्ला अन-त.
तर्जुमा – ऐ अल्लाह ! तू पाक है! बेशक मैंने अपने नफ़्स पर जुल्म किया, तू मुझे बख्श दे, क्योंकि सिर्फ़ तू ही गुनाह बख्शता है
Safar ki dua for car
अगर आप कार से सफर कर रहे है तो आप निचे दी गयी दुआ पढ़ सकते है
Subha Nal Lazi Sakhkharlana Haaza Wamaa Kunna Lahu Muqrineen Wa Inna Ilaa Rabbina Lamun Qaliboon
वो पाक है जिसने इसको हमारे काबू में कर दिया और हम में ताक़त ना थी की इसको काबू में कर लेते और हमको अपने रब की तरफ ही लौट कर जाना है.
इस्लाम में कितनी दुरी को सफर माना जाता है
इस्लाम में किसे सफर माना जाए आज भी लोगों की अलग अलग राय है. बहुत से लोगों का यह कहना है कि, अगर मेरा सफर 90 किलोमीटर से ज्यादा हैं तो उसे सफर मान लिया जाए |
चाहे उस सफ़र को पूरा करने के लिए हवाई जहाज या ट्रेन या बस का प्रयोग किया हो कुछ लोगों का यह कहना है कि अगर सफर में 2 दिन का समय लगे तो उसे सफर माना जाएगा।
सफर को लेकर इस्लाम से जुड़े लोगों की अलग अलग राय है. अल्लाह तल्लाह आपकी नियत को देखता है आप safar ki dua पढ़ कर ही अपना सफर शुरू करे |